Giloy for Immunity in Hindi–

गिलोय के प्रयोग से बढ़ाएं इम्यूनिटी -
Giloy for Immunity in Hindi–



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Covid19 के लिए आप गिलोय का अवश्य सेवन करे।

गिलोय का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ है -
रोगों से लड़ने की क्षमता देना। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कि स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं और खतरनाक रोगों से लड़ते हैं। गिलोय गुर्दों और जिगर से विषाक्त पदार्थों को दूर करता है और मुक्त कणों (free radicals) को भी बाहर निकालता है। इन सब के अलावा, गिलोय बैक्टीरिया, मूत्र मार्ग में संक्रमण और जिगर की बीमारियों से भी लड़ता है जो अनेक रोगो का कारण बनते हैं। नियमित रूप से गिलोय का जूस का सेवन करने से रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

गिलोय के फायदे डेंगू के उपचार में -
Giloy for Dengue in Hindi –

गिलोय का एक अन्य लाभ यह है कि यह लंबे समय से चले आ रहे ज्वर और रोगों का इलाज करता है। क्योंकि इसकी प्रकृति ज्वरनाशक है, इसलिए यह जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारियों के संकेतो और लक्षणों को कम करता है। यह आपके रक्त में प्लेटलेट्स की गिनती को बढ़ाता है और डेंगू बुखार के लक्षण को भी दूर करता है। गिलोय के साथ तुलसी के पत्ते प्लेटलेट की गिनती को बढ़ाते हैं और डेंगू से लड़ते हैं। गिलोय के अर्क और शहद को एक साथ मिलाकर पीना मलेरिया में उपयोगी होता है। बुखार के लिए 90% आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय का उपयोग एक अनिवार्य घटक के रूप में होता है। 

गिलोय के औषधीय गुण पाचन बनाएं बेहतर -
Giloy for Digestion in Hindi–

गिलोय आपके पाचन तंत्र की देखभाल कर सकता है। आधा ग्राम गिलोय पाउडर को कुछ आंवला के साथ नियमित रूप से लें। अच्छे परिणाम के लिए, गिलोय का रस छाछ के साथ भी लिया जा सकता है। यह उपाय बवासीर से पीड़ित रोगियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। संक्षेप में, गिलोय दिमाग को आराम देता है और अपच को रोकता है।

गिलोय के उपयोग से मधुमेह करें नियंत्रि -
Giloy Juice for Diabetes in Hindi–

अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो गिलोय निश्चित रूप से आपके लिए प्रभावी होगा। गिलोय एक हाइपोग्लिसीमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह रक्तचाप और लिपिड के स्तर को भी  कम कर सकता है। यह टाइप 2 मधुमेह के इलाज को बहुत आसान बनाता है। मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से रक्त शर्करा के उच्च स्तर को कम करने के लिए गिलोय का जूस पीना चाहिए। 

गिलोय का सेवन करें मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में - Giloy as Brain Tonic in Hindi–

गिलोय को अडाप्टोजेनिक (adaptogenic) जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है। एक उत्कृष्ट स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए, गिलोय अक्सर अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिश्रित किया जाता है। यह स्मृति को बढ़ावा देने और काम पर ध्यान लगाने में मदद करता है। यह मस्तिष्क से सभी विषाक्त पदार्थों को भी साफ कर सकता है। गिलोय की जड़ और फूल से तैयार पांच ml गिलोय के रस का नियमित सेवन एक उत्कृष्ट मस्तिष्क टॉनिक के रूप में समझा जाता है। गिलोय को अक्सर एक बुढ़ापा विरोधी जड़ी बूटी बुलाया जाता है।

गिलोय रस के फायदे हैं दमा के इलाज में -
Benefits of Giloy in Asthma in Hindi–

अस्थमा के कारण छाती में जकड़न, सांस की तकलीफ, खाँसी, घरघराहट आदि होती है। ऐसी हालत के लिए इलाज मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कुछ आसान उपायो से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। उनमें से एक उपाय है - गिलोय। यह अक्सर अस्थमा के रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय का रस दमा के इलाज में उपयोगी है। नीम और आंवला के साथ मिला कर इसका मिश्रण इसे और अधिक प्रभावी बनाता है। 

गिलोय के उपयोग से पाएं गठिया में राहत -
Giloy for Arthritis in Hindi–

अगर आप वातरोगी गठिया से पीड़ित है तो आपको गिलोय का सेवन करना चाहिए। इसमें सूजन को कम करने के साथ-साथ गठिया विरोधी गुण भी होते हैं जो कि गठिया और जोड़ों में दर्द सहित इसके कई लक्षणों का इलाज़ करते हैं। गिलोय गाउट को राहत देने के लिए, अरंडी के तेल के साथ प्रयोग किया जा सकता है। गठिया के इलाज के लिए, यह घी के साथ भी प्रयोग किया जाता है। यह रुमेटी गठिया का इलाज करने के लिए अदरक के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

गिलोय के लाभ से मिले कामेच्छा में वृद्धि -
Giloy as An Aphrodisiac in Hindi–

अगर आपको लगता है कि आप बिस्तर पर अच्छे नहीं है तो चिंता की कोई बात नहीं है, आप तुरंत गिलोय का सेवन शुरू कर दें। पुरुषों के लिए भी गिलोय एक वरदान है क्योंकि गिलोय एक कामोद्दीपक दवा है जिसकी मदद से शरीर में कामेच्छा की वृद्धि होती है। यह सेक्स इच्छाशक्ति को बढ़ाता है, जिसके फलस्वरूप आप वैवाहिक सुख अच्छी तरह से भोग सकते हैं।

गिलोय जूस के फायदे आँखों के लिए -
Giloy for Eyesight in Hindi–

गिलोय नेत्र विकारों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आंखों की रोशनी बढ़ा देता है और चश्मे के बिना बेहतर देखने में मदद करता है। भारत के कुछ भागों में लोग गिलोय को आंखों पर उपयोग करते हैं। आप गिलोय को पानी में उबालें, उसको ठंडा करें और फिर आँखों की पलकों पर लगाएं। आपको निश्चित रूप से एक परिवर्तन दिखाई देगा।

गिलोय रस बेनिफिट्स युवा त्वचा के लिए -
Benefits of Guduchi for Skin in Hindi–

गिलोय उम्र बढ़ने के लक्षणों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें उम्र विरोधी गुण हैं जो कि काले धब्बे, मुँहासे, बारीक लाइनों और झुर्रियों को कम करते हैं। यह आपकी त्वचा को उज्ज्वल, युवा और सुंदर रखता है। चहरे के दाने, झाइयाँ, मुँहासे, काले धब्बों पर गिलोय के रस को लगाने से सब त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।

गिलोय के अन्य फायदे -
Others benefits of Giloy in Hindi–

उपर्युक्त रोगों के साथ-साथ  गिलोय और भी कई प्रकार के रोगो में उपयोग किया जाता है - 

गिलोय त्वचा और लीवर से संबंधित रोगों के इलाज के लिए, चीनी के साथ प्रयोग किया जाता है।
गिलोय कब्ज के इलाज के लिए, गुड़ के साथ प्रयोग किया जाता है।
गिलोय के पत्तो को पीसकर एक गिलास छाछ के साथ मिलाकर सुबह सुबह सेवन करने से पीलिया ठीक हो जाता है। इसके अलावा गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से भी पीलिया ठीक होता है।
गिलोय के तने को उबाल कर बनाए गए काढ़े को ठंडा करके पीने से उल्टी से राहत मिलती है।
गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमज़ोरी दूर होती है और दिल के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
गिलोय के रस के सेवन से शरीर में खून की कमी (एनीमिया) दूर होती है।
शरीर में जलन से राहत के लिए, गिलोय के रस को नीम के पत्तो और आँवला को मिलाकर काढ़ा बना लें और दिन में 2-3 बार इसका सेवन करें।
सुबह के समय खाली पेट गिलोय का रस पीना पेट के कीड़ों के इलाज़ में उपयोगी है।
क्या गिलोय बच्चों के लिए सुरक्षित है? -
Is Giloy Safe For Kids in Hindi
गिलोय पांच साल की उम्र या इससे ऊपर के बच्चों के लिए सुरक्षित है। हालांकि, गिलोय की खुराक दो सप्ताह से अधिक या बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के नहीं दी जानी चाहिए।

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गिलोय के नुकसान - Giloy ke Nuksan in Hindi

यदि आप मधुमेह की दवाई ले रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के इस जड़ी बूटी का सेवन नहीं करना चाहिए। गिलोय कब्ज और कम रक्त शर्करा की समस्या भी पैदा कर सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके इस्तेमाल के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
अपने सुझाव जरूर साझा करें।
धन्यबाद।

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Pet kam (Weight loss) karne ka asan tarike

Pet kam (Weight loss)  karne ka asan tarike

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पेट कम करने का आसन घरेलू तरीका।

ये 5 तरीको से आप जल्द पतले हो जाएंगे बिना किसी दवाई के।

आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में कई गंभीर
स्‍वास्‍थ्‍य समस्याएं होने लगी हैं। ऐसी ही एक गंभीर समस्या है मोटापा।
चलिए आपका ज्यादा वक्त न लेते हुए सीधे मुद्दे पे आता हूं कि कैसे हम अपनी दैनिक दिनचर्या में थोड़ी सी बदलाव करके पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन कैसे जी सकते है।
सबसे पहले

1. Garam pani piye – गरम पानी पिये।

2. Exercise kare –नित्य  व्ययाम करे

3. Green tea piye. – ग्रीन टी का ग्रहण  ज्यादातर करे।

4 . Multi grain daliya khaye. – मिलावट की हुई अनाज से बनाई गई दलिया का उपयोग करे।

5. Rat ko kam khaye.– रात्रि को बहुत कम खाये।

रात्रि को कम खाने से हमारी पचानतंत्रिक पूर्णतः अच्छी होती जाती है जिसके कारण मेद का जामा होना न मुमकिन सा हो जाता है।

ऐसा करने से कुछ ही महीनों में बिना दवाई के आपको वजन बहुत कम हो जाएगा। ये मेरा विश्वास है ।
बहुत ही असान तरीका है ये अगर आप बस थोड़ी सी अपनी नित्य दिनचर्या में थोड़ा बदलाव करे तो।

कैसी लगी ये जानकारी जरूर बताइएगा और अपने सुझाव जरूर दीजिये।
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आते रहियेगा।

Chath puja bihar me kyu manaya jata hai.


छठ महापर्व: बिहार में क्यों?



Chath bihar me kyu manaya jata hai.

 छठ महापर्व बिहार में है क्यों मनाया जाता है ? 
 पोस्ट मुझे व्हाट्सएप में मिला था इसीलिए मैं सोचा इसके बारे में आपको अपने ब्लॉक में जरूर बताये।
 

वैदिककालीन मध्य भारतवर्ष के कीकट प्रदेश में गयासुर नामक एक दानव रहता था| वह भगवान विष्णु का उपासक था|  गयासुर की काया भीमकाय थी|  कहते हैं कि, जब गयासुर पृथ्वी पर लेटता था, उसका सर उत्तरी भारत में होता तथा उसके पैर आंध्र क्षेत्र में होते थे|  सबसे महत्वपूर्ण यह कि, उसका हृदयस्थल गया में होता था|

देवता गयासुर से बहुत भयभीत रहते क्योंकि वह उनको अकारण परेशान किया करता था|  देवता उससे मुक्ति चाहते थे और इस प्रयोजन के लिए उन्होने भगवान ब्रह्मा से विनती की|  परंतु ब्रह्मा ने कुछ भी करने से मना कर दिया|  उनका कहना था कि गयासुर भगवान विष्णु का परम भक्त है और बिना विष्णु की सहमति के उसका कुछ भी नहीं हो सकता|   

तत्पश्चात देवगण भगवान विष्णु की शरण में गये परंतु उन्होने अपने प्रिय उपासक का अंत करने में कोई रूचि नहीं दिखाई|  तब देवों ने विष्णु से अनुरोध किया कि वह कम से कम अपने नाम से गयासुर के हृदयस्थल पर, जो गया में होता था, एक यज्ञ करने की अनुमति दे दें|    

भगवान विष्णु ने भारी मन से गयासुर से यह बात कही|  गयासुर को यह आभास था कि उसके हृदयस्थल पर इस यज्ञ के उपरांत उसका अंत हो जाएगा, परंतु उसने भगवान विष्णु की बात मान ली क्योंकि वह उनका परम उपासक था| 

इसके बदले में भगवान विष्णु ने गयासुर को यह वरदान दिया कि उसका नाम सदा के लिए अजर-अमर हो जाएगा|  भगवान ने कहा कि इस महाबलिदान के पश्चात गयासुर की हृदयस्थली गया में ही प्रत्येक हिंदू को सदैव अपने पितरों का पिन्डदान करना होगा|  यह परंपरा गया में आज भी कायम है| 

अब देवगण इस महायज्ञ के लिए उचित पुरोहितों की खोज में लग गये परंतु उनको निराशा हाथ लगी|  सब देवता नारदमुनि के पास गये, जिन्होने  बताया कि ऐसे पुरोहित केवल शाक्य द्वीप (प्राचीन ईरान) से ही लाए जा सकते हैं| 

Sataye diwip  kaun hote hai.

शाक्य द्वीप के ये पुरोहित परम सूर्य उपासक होते थे| वे ‘मग ब्राह्मण’ के नाम से भी जाने जाते थे (सन्दर्भ, ‘विष्णुपुराण’ 2, 4, 6, 69, 71)|  प्राचीन इरना भाषा मे ‘मग’ का अर्थ अग्नि पिंड, अर्थात सूर्य, होता है|  सूर्यदेव को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है| (‘मगध’ शब्द भी मग से ही उद्धरित है|)

इसके उपरांत, सात सूर्य उपासक पुरोहित शाक्य द्वीप से गया क्षेत्र में लाए गये और उन्होने गयासुर के हृदयस्थल पर यज्ञ करके देवताओं को उससे मुक्ति दिलाई|  इन पुरोहितों को ‘शाक्दीपी ब्राह्मण’ के नाम से जाना जाता है (सन्दर्भ, ‘महाभारत’, ‘भीष्मपर्व’, 12,33/ ‘भविष्य पुराण’, ‘ब्रह्मपर्व’ 139, 142)| इनके वंशज आज भी मगध क्षेत्र में निवास करते हैं|

यह सात ब्राह्मण गया और आसपास के क्षेत्रों में बस गये|  1937-38 में गया जिले के गोविंदपुर में पाए गये आदेशपत्र में भी इनका वर्णन है| 

मग ब्राह्मणों का अनुसरण करते हुए, मगध क्षेत्र के निवासियों ने भी कालांतर में सूर्यदेव की औपचारिक उपासना करनी शुरू कर दी| 

सूर्य ‘प्रत्यक्ष देव’ हैं और ‘सूर्य षष्ठी’ का वैज्ञानिक महत्व है|  समय के साथ इस उपासना को ही ‘छठ महापर्व’ के रूप में मनाया जाने लगा|

इस उपासना की पद्धति सरल थी तथा हिंदू जनमानस इसको कर पाने में सक्षम था|  हालाँकि इस व्रत के साथ अत्यंत कठोर नियम संलग्न थे, परंतु इसको करने में पुरोहित की मध्यस्थता आवश्यक नहीं थी|   कालांतर में सूर्य उपासना का महत्व बढ़ता गया और छठ महापर्व अत्यंत लोकप्रिय होता गया|  इसका प्रमुख कारण यह था कि इस व्रत के करने से उपासक और उनके परिवारजनों को लाभ प्राप्त होता था|  

तथापि, छठ महापर्व का उद्भव मगध (मगह) क्षेत्र में ही हुआ और कालांतर में यह पर्व बाकी स्थानों में भी मनाया जाने लगा|  शाक्दीपी ब्राह्मणों ने मगध क्षेत्र के सात स्थानों पर सूर्य मंदिरों की स्थापना की, जैसे कि देव, उलार, ओंगारी, गया और पंडारक|  देव का छठ सबसे पवित्र माना गया है|  गया धाम – जो हिंदुओं का एकमात्र पित्रतीर्थ है – के पंडे भी अपने आपको अग्निहोत्री ब्राह्मण कहते हैं|  अग्निहोत्री का सीधा सन्दर्भ सूर्य से ही है|  

Chath me kinki puja ki jati hai.

छठ महापर्व में सूर्यदेव के साथ-साथ, ‘उषा’ और ‘प्रत्युषा’ की भी उपासना की जाती है|  उषा का अर्थ होता है प्रातःकाल, और प्रत्युषा का अर्थ सांध्यकाल|  उषा तथा प्रत्युषा – जो छठी मैया के नाम से लोकप्रिय हैं – सुर्यदेव की संगिनी मानी जाती हैं|  यही कारण है कि छठ महापर्व के दौरान, उपासक अस्तगामी और उगते सूर्य की भी आराधना करते हैं|  

ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पुत्र संब और राजा प्रियव्रत ने भी मगध क्षेत्र में छठ व्रत किया और लाभ पाया|  

ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणाकरं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतैयुतम् ||

परमपिता श्री सूर्यदेव और परममाता श्री प्रत्यूषा एवं श्री ऊषा आपकी सभी मनोकामनायें पूरी करें!  लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की मंगलकामनाये।

पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धनायवद।

patanjali launch covid medicine #आयुर्वेदविजय_कोरोनिल_श्वासारि #कोरोनिल

Patanjali launch covid medicine #आयुर्वेदविजय_कोरोनिल_श्वासारि #कोरोनिल




अश्वगंधा, गिलोय और तुसली की मात्रा बताई डॉक्टर ने उसी के एक्टिव कंपाउंड को लेकर हमने यह कोरोनिल नाम की आयुर्वेदिक औषधि इस संसार को कोरोना मुक्ति के लिए एक उपहार के रूप में दी है। अभी हम जो क्रिटिकल पेशंट्स है ऊपर भी ट्रायल करेंगे तो यह सेकंड लेवल का ट्रायल हो जायेगा और क्रम आगे बढ़ता रहेगा और हमने यह वायरल डिजीज के ऊपर पहला कार्य नहीं किया है, इससे पहले हम डेंगूनील भी बना चुके हैं और वह भी इंटरनेशनल जर्नल के अंदर प्रकाशित हो चुकी है। बैक्टीरियल डिजीज के ऊपर हम नियंत्रण कार्य कर रहे थे। आयुर्वेद में भी विरालोजी का अलग से डिपार्टमेंट है।*

*-परम पूज्य स्वामी रामदेव महाराज जी





#आयुर्वेदविजय_कोरोनिल_श्वासारि
#कोरोना की एविडेंस बेस्ड प्रथम #आयुर्वेदिक औषधि, #श्वासारि_वटी ,#कोरोनिल का संपूर्ण साइंटिफिक डॉक्यूमेंट के साथ लॉन्च




Mai n hota to kya hota

"मैं ना होता तो क्या होता" पर एक प्रसंग ।                "  Mai na hota toh kya hota "      
एक बार हनुमानजी ने प्रभु श्रीराम से कहा कि अशोक वाटिका में जिस समय रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर सीता माँ को मारने के लिए दौड़ा, तब मुझे लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिये, किन्तु अगले ही क्षण मैंने देखा कि मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया, यह देखकर मैं गदगद हो गया ! यदि मैं कूद पड़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता तो क्या होता ? 
बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मुझे भी लगता कि यदि मै न होता तो सीताजी को कौन बचाता ? परन्तु आज आपने उन्हें बचाया ही नहीं बल्कि बचाने का काम रावण की पत्नी को ही सौंप दिया। तब मै समझ गया कि आप जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं, किसी का कोई महत्व नहीं है !

आगे चलकर जब त्रिजटा ने कहा कि लंका में बंदर आया हुआ है और वह लंका जलायेगा तो मै बड़ी चिंता मे पड़ गया कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नही है और त्रिजटा कह रही है तो मै क्या करुं ?
पर जब रावण के सैनिक तलवार लेकर मुझे मारने के लिये दौड़े तो मैंने अपने को बचाने की तनिक भी चेष्टा नहीं की, और जब विभीषण ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति है, तो मै समझ गया कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया !
आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बंदर को मारा नही जायेगा पर पूंछ मे कपड़ा लपेट कर घी डालकर आग लगाई जाये तो मैं गदगद् हो गया कि उस लंका वाली संत त्रिजटा की ही बात सच थी, वरना लंका को जलाने के लिए मै कहां से घी, तेल, कपड़ा लाता और कहां आग ढूंढता, पर वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा दिया, जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है !

इसलिये हमेशा याद रखें कि संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं, इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि...

       "मै न होता तो क्या होता ?"